विषय क्रमांक-383
10/1/2022/सोमवार
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*हिंदी*
काव्य
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देश का मान बढाती हिंदी।
उच्च श्रेणी की अपनी हिंदी।
करते जयजय कार सभी यहां,
जिंदा रहेगी भारत में हिंदी।
लगती ललाट पर सुंन्दर बिंदी।
ऐसी ही सब भाषाओं मे हिंदी।
आलोक सभी इसी से फैलता,
सत्य संस्कृति सम्मान है हिंदी।
ये भारत का अभिमान है हिंदी।
सब भाषाओं की जान है हिंदी।
संस्कृत है भाषाओं की जननी,
पर भाषाओं की शान है हिंदी।
रच बस गई पूरे भारत में हिंदी।
फैल गई है जनमानस में हिंदी।
नित हिंदी का अस्तित्व बडा है,
बोलें गली,गांव ,शहर में हिंदी।
माना कुछ खिचड़ी हुई है हिंदी।
देखें फिरभी जीवंत हुई है हिंदी।
हिंदी दिवस मना एकदिन पूछते,
लगता कुछ तो बेबस हुई है हिंदी।
स्वरचित,
शम्भूसिंह रघुवंशी अजेय
गुना म.प्र.
#देश का मान बढ़ाती हिंदी#
काव्य,
10/1/2022/सोमवार
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