#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह
#बिषय_हिंदी
करे अलंकृत भाल सुहागिन
सौभाग्य निशानी बिंदी ज्यों,
सब भाषाओं में श्रेष्ठ कहाती
हिन्द की भाषा हिंदी त्यों।
बाल्मीकि रामायण में है
है तुलसी की चौपाई में,
कृष्ण कथामृत पान कराती
है मीरा के इकतारा में।
सूर, कबीर, रहीम की वाणी
ब्रज अवधी मान बढ़ाती है,
दोहा, छंद, पद, चौपाई से
जब हिंदी सज जाती है।
सात समंदर पार भी हिंदी
अपना रंग जमाती है,
विदेशियों के हृदय पटल पर
भगवा की छाप छोड़ती है।
कहलाती है जननी संस्कृत
उर्दू की बहिन चहेती है,
श्रृंगार करे रस अलंकारों से
वह मेरी मातृ भाषा हिंदी है।।
शीला द्विवेदी "अक्षरा"
उत्तर प्रदेश "उरई"
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