#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह
दिनांक-10.01.2021
विषय-हिंदी
विधा-कविता
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ये कैैसी विडम्बना है कि
पचहत्तर साल बाद भी
हमारे देश की अपनी
राष्ट्र भाषा नहीं है,
हमारी मातृभाषा
सिर्फ़ राजभाषा है।
ये कैसा दुर्भाग्य है कि
अपनी मातृभाषा को
हम अपना कहने में भी शरमाते हैं,
खाते हैं हिन्दी का और
गुणगान अंग्रेज़ी का गाते हैं।
अब सहन नहीं होता
बंद हो ये भद्दा मजाक
अनिवार्य करो हिन्दी शिक्षा,
अब हिन्दी को राजभाषा से
राष्ट्र भाषा बनाओ
अब और न बेशर्मी दिखाओ,
भारत के जन जन को
हिन्दी की शपथ दिलाओ
सबको हिन्दी पढ़ाओ।
★सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा(उ.प्र.)
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