#कलम बोलती है साहित्य समूह
#क्रमांक:-383
#दिनांक-10/1/ 2022
#विधा :-काव्य
#विषय:-हिंदी
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आन है, बान है, हम सब की जो पहचान है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकता में जो हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है-2।।
विविधताओं का देश हमारा
अलग-अलग है यहां धर्म प्यारा,
जाति-प्रथा, बोली औऱ संस्कृति,
वेश-भूषा भी बदलती रहती
इन सबकी बना के माला
एकता का प्रतीक हमारा।
हम सबको जो प्यार दिलाती,
आपस में सम्मान दिलाती ,
विचारों का आदान-प्रदान करती,
सबको एक सूत्र में पिरोती,
माथे पर जिसके बिंदियाँ सजती है।।
वो ही भाषा जिसे हम हिंदी कहते हैं।
हम भारतीयों की वो शान है।।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
एकता में हमें पिरोये, वो हिंदी भाषा महान है।।
माना जननी संस्कृत है,
पर है हिन्दी इसकी लाड़ली।
सब भाषाओं को साथ लिए,
चलती है ये भाषा पावनी।।
नहीं है किसी भाषा से वैर इसका,
ख्याल रखें ये सभी देशवासियों का,
यूं तो देश में अनेक भाषाएं है।
पर सजे जो माथे पर वो बिंदी है हिन्दी।।
अनेक अंगों से बना ये पुतला,
कहलाता है शरीर हमारा।
इसका ख्याल रखता है मष्तिष्क,
वैसे ही विभिन्नताओं के देश में
शक्ति का केन्द्र है हिन्दी।।
हर के रंग में बसी हुई,
ये हिन्दी सबकी जान है।
आन है, बान है, हम सबकी जो पहचान है,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
एकता में हमें पिरोये,
वो हिंदी भाषा महान है।।
वो हिंदी भाषा महान है।।
जय हिंद, जय हिन्दुस्तान।।
✍️स्वरचित व मौलिक रचना
लेखक-राजेन्द्र कुमार'राज'
श्रीमाधोपुर, सीकर
राजस्थ
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