विषय-हिन्दी
विधा-दोहा गजल
दिनांक-११-०१-२२
नव रस से भरपूर है,भाषा हिन्दी यार।
कंठ कंठ में यह बसे,जन गण मन संसार।।
हिन्दी हिन्दुस्तान की, भाषा लगे विज्ञान।
अच्छी लगे जुबान यह, जन मन में संचार।।
भाषा यह अनमोल है, मीठे इसके बोल।
काव्य ग्रंथ में देखिए, अनुपम सत्य विचार।।
मान बढ़ायें शान है, हिन्दी हिन्दुस्तान।
भारत का अभिमान है, हिन्दी से कर प्यार।।
हिन्दी में ही बात कर,, सभी कार्य कलाप।
सरकारी निदेश यह, करना है ब्यवहार।।
संस्कृति की पहचान यह, स्वर ब्यंजन गीत।
भरें सुगंध गीत गजल, शब्दो का विस्तार।।
स्वरचित मौलिक
चन्द्र भूषण निर्भय
बेतिया, बिहार
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