कलम बोलती है साहित्य सृजन मंच
दिनांक 11/012022
विषय हिंदी
विधा गीत
गौरव गान सिखाती हिंदी, राष्ट्रप्रेम जगाती हिंदी।
राष्ट्र धारा बन बहती, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
देश का सम्मान हिंदी, वंदे मातरम गान हिंदी।
सबके दिल में बसने वाली, देश की पहचान हिंदी।
मोहक लय तान हिंदी, सबका है अभिमान हिंदी।
गीत बन गूंजे धरा पर, मधुर नेह का भान हिंदी।
उर भाव जगाती हिंदी, मंद मंद मुस्काती हिंदी।
हृदय प्रेम भाव जगाती,देश का मान बढ़ाती हिंदी।
सरहद के रखवाले गाते, सदा तिरंगा शान हिंदी।
यशगाथा उन वीरों की, लूटा गए जो जान हिंदी।
राष्ट्र का उत्थान हिंदी, वीरों का गुणगान हिंदी।
सद्भावो की बहती सरिता, होठों पर मुस्कान हिंदी।
भाईचारा प्रेम जगाती, संस्कृति सिखाती हिंदी।
वसुदेव कुटुंबकम ले, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
गीता का सब सार हिंदी, पावन गंगा धार हिंदी।
बहती मधुर मधुर पुरवाई, सावन की फुहार हिंदी।
तीज और त्योहार हिंदी, प्रगति का आधार हिंदी।
होली के रंगों की छटा, दीपों की सजी बहार हिंदी।
भाई बहना प्यार झलके, रक्षासूत्र बन जाती हिंदी।
रिश्तों में मधुरता घोले, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
प्रस्तुत की गई रचना स्वरचित व मौलिक है।
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