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रविवार, 16 जनवरी 2022

विषय 👉🏻हिन्दी । रचनाकार 👉🏻आ. जयदेव अत्री जी 🏅🏆🏅

Uma Vaishnav 
नमन माँ शारदे 
नमन" कलम बोलती है "साहित्य समूह मंच 
सोमवार --10/01/2022
विषय क्रमांक : 383
विषय : हिन्दी 
विधा : कविता (मेरी ये अभिलाषा हिन्दी) 
मेरी ये अभिलाषा हिन्दी, जन-जन की हो भाषा हिन्दी ।
ताज साज राष्ट्र भाषा का, क्यों अब तक है भाल की बिंदी ।।

मुक्ता सम वर्णों की माला, सागर सम शब्द कोश विशाला। 
अलंकृत स्वांलकारों से, पूरित है सब संस्कारों से। 
सुन्दर सरस सलोनी लिपि, मुखरित,सृजित,पटत सम रूपि। 
सृजन करती सब विधाओं का, लय, गति, छंद, रस, भावों का। 
शब्दाबाद रहा हर तेरा, फिर भी अपनों में शर्मिंदी।..................1

संस्कृत सुता सरस अति पावन, अभिनेता वाणी मन भावन। 
स्वाधीनता की रही भाषा, नेता, कवि लेखन की आशा। 
वीणा की झंकारों में तू, आजादी के नारों में तू। 
स्वराष्ट्र की तू है पहचान,तू जननी का लोरी गान। 
सरल ,सम्पूर्ण, संस्कारी तू,फिर भी है मर-मर के जिन्दी।...............2

रिश्तों को परिभाषित करती, भाव, विचारों की अभिव्यक्ति। 
राष्ट्र का सम्मान है तू,जन-जन का स्वाभिमान है तू। 
भारतेन्दु युग का संधान, तुलसी कबीर मीरा का ज्ञान। 
मात शारदे का वंदन तू, वीर भारती अभिनंदन तू। 
तेरा ही गुणगान करें हम, भारत के मिल सारे सिंधी।.................. 3

कलमकार करें सभी मंथन, बुद्धिमान सभी आत्मचिंतन। 
हिन्दी ना हो बस कंठन में, झांको सारे अन्तर्मन में ।
हिंदी हो दिल की धड़कन में, शोणित ,सपंदन ,कंपन में। 
एकता की तब होगी आशा, हिन्दी बने जब राष्ट्र भाषा। 
शुचि सनातन रहे गंगा सी, पंख खोल तब उड़े परिन्दी।.......... 4

      स्वरचित, मौलिक। 
       जयदेव अत्री ,जुलाना 
       जीन्द (हरियाणा)

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