#दैनिक_विषय_क्रमांक : 382
#विषय: हिंदी
#विधा : कविता
# दिनांक: 11 जनवरी 2022, मंगलवार
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माँ के भाल का तिलक हिंदी
माँ के माथे की शोभा हिंदी।
यही मान अभिमान हमारी
कवियों की सुर तान हिंदी।।
मात्रा का सारा खेल है हिंदी
स्वर व्यंजन वर्णों की माला।
यति गति,ताल और छंद लय
अलंकार युक्त रस का प्याला।।
आन बान और शान है हिंदी
बनी भारत की पहचान हिंदी।
संपूर्ण विश्व में भारत देश का
परचम लहरा रही मेरी हिंदी।।
आओ मिलकर विचार करें
भारत माता का श्रृंगार करें।
राष्ट्रभाषा का मान दिलाकर
मातृभाषा का सम्मान करें।।
स्वरचित मौलिक रचना
सुमन तिवारी, देहरादून, उत्तराखंड
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