#कलम_बोलती_है_साहित्य_ समूह
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#विधा_स्वैच्छिक
*हिन्दी ही पावन*
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माॅं भारती कहे पुकार,
मैं तुमको करती मनुहार।
सुनो भारतीय तुम पुकार,
हिन्दी की पावन झंकार।
राष्ट्रीय एकता का संदेश,
हिन्दी सबको करती एक।
हिन्दी को सब गले लगा लो,
यह तो माता जैसी नेक।
रूप सरलतम और वैज्ञानिक,
शीघ्र समझ में आती है।
सबकी जुबां पर जल्दी चढ़कर,
अर्थबोध उन्हें देती है।
है विशाल हृदय जो उसका,
सबको समाहित करती है।
सरिता से सागर बन करके,
भारत देश में बहती है।
भारत संग हिन्दी की धारा,
सारे जहां में पहुंचाओ।
हिन्दी का सब मान करके,
परचम इसका लहराओ।
✍🏻 सीता गुप्ता दुर्ग छत्तीसगढ़
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