#कलम_बोलती_है_साहित्य_समूह
#विषय: हिन्दी
#दिनांक:10/01/22
हिन्दी दिवस की शुभकामनायें🙏🏻🙏🏻💐💐
* हिन्दी *
(विधा: मुक्तक;
मापनी: 1222 1222 1222 1222)
अखिल संसार में जगमग, सदा द्युतिमान हिंदी है,
गगन की नाप ले सीमा, सतत अनुमान हिंदी है,
यही संस्कृत सुता, अरु देश की दुर्लभ धरोहर है,
सभी भाषा परख ले थाम, अनुसंधान हिंदी है।
हमारी राष्ट्रभाषा, देश का अभिमान हिंदी है,
सिखाए एकता के गीत , मोहक तान हिंदी है,
पदों अरु गद्य,छंदों से, अलंकृत साज है करती,
सहज सुगठित मृदुलता से, सिखाती ज्ञान हिंदी है।
दिखाती राह गुरु बनकर, भरे संज्ञान हिंदी है,
हमें है गर्व हम सब की, बनी पहचान हिंदी है,
बजा परदेश में डंका, झुका सिर मान हैं करते,
सुनाए जो जगत सारा, वही गुणगान हिंदी है।
सजी जो हिंद के मुख पर, वही मुस्कान हिंदी है,
मधुर प्राचीन भाषा, देश का सम्मान हिंदी है,
मगर अब लोग अंग्रेजी, अधर रख गर्व करते हैं,
सदा अब देश में अपने, सहे अपमान हिंदी है।
मिले शुचि प्रीत अपनापन जहाँ, वो स्थान हिंदी है,
हमारे देश की प्रभुता और उत्थान हिंदी है,
करो सेवा सदा इसकी, बनो अस्तित्व के रक्षक,
यही पूजा, यही वंदन, हमारा मान हिंदी है।
निभा राजीव
सिन्दरी, धनबाद, झारखंड
स्वरचित और मौलिक रचना
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