हिन्दी की महत्ता
हिन्दी है दिलो की भाषा ,
हिन्दी भारत की है भाषा,
इसकी सहेली सब भाषा,
सुख-दुख की व्यक्ती,भाषा,
मानव भाव,-रस उदगार ,
अभिव्यक्त,जीवन-श्रृंगार ,
रस- छन्दो से पूर्ण समृद्ध
लालित्य,अंलकार है बद्ध।
व्याकरण समर्थ यथार्थ-
गतिविधान समर्थ,सक्रिय--
अर्थ पूर्ण,समर्थ,शब्द संधान
देशज,लोक भाषाओं का
समावेश,बदले अर्थ पाकर
परिवेश,कवियों के भावो का
उदगार,जन-मन के उद्वेलन
आधार,कवित्व मे सब रस-
समाते,सुन कर जन मानस
आनन्द उठाते,सूर-तुलसी
बहु साहित्य कार,जिन्हे पढ़
कर,जानते हम सब 'हिन्द
भाषा का व्यवहार।
पूनम सिंह जी
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