दिनाँक-11-1-2022
विषय-हिंदी
विधा-गीत
हिंदी है प्राण अपनी हिंदी है राष्ट्र धारा
करना प्रतिष्ठा इसकी संकल्प हो हमारा
इसकी कृपा से हमने शब्दों का ज्ञान पाया
भावों को व्यक्त करना हमको इसी से आया
हर शब्द मोती दीखा जब भी इसे निहारा।
हिंदी है प्राण......
भारत की प्यारी भाषा सबको समझ में आती।
बहती हवा भी इसके जीवन के गीत गाती।।
पतवार इसकी लेकर पा जायेंगे किनारा।
हिंदी है प्राण.........
सखियाँ हैं सोलह इसकी सब साथ साथ रहतीं।
परदेश वासिनी के घातों को कब से सहतीं।।
दे दो निकाला उसको गूँजेगा स्वर तुम्हारा।
हिंदी है प्राण.........
गीतों की जननी बनकर जन-जन को ये लुभाती।
रस से भरी ये भाषा रसिकों को रास आती।।
तुम मान इसको देदो मिल जायेगा सहारा।
हिंदी है प्राण अपनी हिंदु है राष्ट्र धारा।।
रवेन्द्र पाल सिंह 'रसिक'मथुरा
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