विषय क्रमांक - ३८३
विषय - हिंदी
विधा - चौपाई
दिनांक - १०/०१/२०२२
स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)
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*हिंदी*
माथे की शोभा जो बिंदी,
भारत के ललाट पर हिंदी।
हिंदी अपनी है सुखकारी,
इसमें मिली बोलियाँ सारी।।
यश हिंदी का कह नहीं पाए,
अलंकार रस छंद समाए ।
लेखक कवियों के मन भाए,
अगणित कविता गीत बनाए।।
मीठी सहज सरल है भाषा,
भावों की अनुपम परिभाषा।
हिंदी तो है शान हमारी,
सुंदर ये पहचान हमारी ।।
हिंदी में लिख के चौपाई,
आप सभी के बीच सुनाई।
हिंदी लिखे पढ़े अरु बोलें,
उन्नत की नाव राहे खोलें ।।
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✍️ स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)
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