यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ मगनेश्वर नौटियाल"बट्वै"जी 🏅🏆🏅

नमन🙏🕉🙏 मंच
#कलम बोलती साहित्य समूह
#दिनांक 11.01.2022
#विषय क्रमांक-383
# विषय-हिन्दी
#विधा-पद्य कविता
✍️🙏✍️👩‍🦱✍️🙋‍✍️🕉
मां समान मातृभाषा हिंदी,
जिसका गौरवशाली इतिहास।
राष्ट्रीयता का भाव जगाने,
सद्भाव बढाती भाषा खास।।
हिन्दी जन-जन की भाषा,
आशाओं पर खरी उतरती।
मृदु भावों से परिपूर्ण हिन्दी,
है जिह्वा पर जो निखरती।।
वाणी में मधुरता हिन्दी,
ज्ञान विज्ञान की दाता है।
पढता लिखता जो हिन्दी,
अनमोल रत्न बन जाता है।।
साथ दिया है मातृभाषा ने,
समाचार,दर्शन,संचार।
थे जकड़े पराधीनता में,
आजादी जंग का प्रचार।।
राष्ट्रवाद का नारा हिन्दी,
प्रेरक बन प्रेरित करती।
हिन्द देश के हैं सिपाही,
मन में सुंदर भाव भरती।।
बोल चाल की हो भाषा,
हिन्दी सम्प्रेषण में सरल।
भाषाओं में श्रेष्ठ हो तुम,
यथा पदार्थों में तरल।।
निज भाषा उन्नति करने को,
आओ मां की बोली अपनाएं।
राष्ट्रभाषा का दर्जा देकर,
आओ हम भी हिन्दी अपनाएं।।
ऋणी हैं हम माता हमारी,
पुराण,महा ग्रन्थ रामायण।
तुझसे रचना,संरचना होती,
हिन्दी से शुभ कार्य पारायण।।
दोहावली,ग्रन्थावलियां भी,
हिन्दी में ही गाथाएं गाती।
अपनीं मां अपनीं होती है,
तभी तो मातृभाषा कहलाती।।
रचनाकारों का संसार तुम्ही हो,
वाचन में आनन्दायक।
दुनियां में जितनी भाषाएं,
मां तुम सबकी हो महानायक।।
कोटिशः नमन माता को,
माता तुम विद्या की दाता।
सीख गया जो हिन्दी भाषा,
समझो योगी पुरूष बन जाता।।

सर्वथा मौलिक अप्रकाशित
 मगनेश्वर नौटियाल"बट्वै"
          श्यामांगन 
भेटियारा/कालेश्वर,उतरकाशी
        उतराखण्ड

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...