# कलम बोलती है साहित्य समूह
#क्रमांक -३८३
# दिनांक-११.०१.२२
# - विषय - हिन्दी
विद्या - स्वैच्छिक ( गद्य)
हिन्दी का आरम्भ तभी से होता है जब शिशु का जन्म होता
है और वह मां मां करके रुदन करता है । यह शब्द कानों में
मीठा रस घोलता है। यह भाषा सरल और मधुर है । वैज्ञानिकता आधारित है । इसी के हारा प्रत्येक रस और भाव को प्रगट करते हैं। अपभ्रंश सरल और देसी भाषा शब्द ( अवहट्ट ) इसी से हिन्दी भाषा का उद्भव हुआ।१४ सितम्बर
१९४९ को कैंसिल संविधान की सभा में यह निर्णय लिया गया कि हिंदी भारत की राजभाषा हो ।भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विभिन्न विभागों में राष्ट्रीयकृत बैंकों में हिंदी में किए गए कार्यों के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए । हिंदी है है हम । हिंदुस्तान हमारा है ।हमारी पहचान हिंदी के द्वारा होनी चाहिए । हमें चाहिए कि हम अपनी नई पीढ़ी को हिंदी में पुस्तक पढ़ने की आदत डालें ।यह पुस्तकें हमारी धरोहर है । आधुनिक युग में उच्च शिक्षा प्राप्त कर युवा वर्ग जीविकोपार्जन के लिए बाहर जाते हैं । अंग्रेजी पढ़े, लेकिन अपनी मातृभाषा का सम्मान करना कभी न भूलें ।इसका अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार कर जन-जन तक पहुंचाना है । हमारी भाषा प्रेम की भाषा है। सबको अपनाती है। हमारी हिंदी भाषा मेंवो उर्जा है, वो चुम्बकीय गुण है सब देश इसकी ओर आकर्षित होते हैं। हमारे प्रतिष्ठित जन भी विदेशों में अपनी हिन्दी भाषा को महत्व देते हैं। शिक्षाविदों और बुजुर्गों का यह दायित्व होना चाहिए कि हिन्दी के प्रति रुचि जागृत
कर प्राचीन हिंदी लिखित धार्मिक ग्रंथों में लिखे मूल्यों को बताया जाए, जिससे हमारी धरोहर .पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहे । हिन्दी हमारी शान है । हम इसकी शान को कभी कम न होने देंगे।
स्वरचित
अनु तोमर
मोदी नगर
गाजियाबाद
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