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शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ कामेश्वर खण्डूडी़ जी

कलम बोलती साहित्य समूह जय माँ शारदे🙏
दिनांक-: 11/01/2022
विषय-:" हिंदी "
विधा -: लेख        
                              -हिंदी- भारत ही नहीं विदेशों में भी हिंदी बोली और लिखी जाने के कारण अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान और शसक्त हो इस हेतु विश्व हिंदी दिवस की संकल्पना की गई थी।हिंदी की सेवा माँ भारती की सेवा कहे जाने से हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से विश्व में हिंदी भाषियों के बीच हुआ है।हिंदी हम भारतियों के लिए केवल एक सम्वाद या लिखने पढ़ने तक सीमित न रह कर विश्व के अन्य देशों में भारत की पहचान बन चुकी है।यह हम सभी के भारतीय होने को प्रमाणित करती है।हिंदी का सर्वाधिक उपयोग करना एक पवित्र यज्ञ है।इस यज्ञ को आगे बढ़ाने के लिए हिंदी शब्दों का लेखन और सम्वाद में उपयोग किया जाना बहुत अववयक है।हिंदी में सम्वाद करने और लेखन में हमारे विचारों में स्पष्टता आती है।हिंदी हमारे लिए एक बहुत अच्छा अवसर है।इसमें शब्दों की तलाश करने में हमारे समक्ष बहुत से वैकल्पिक शब्द स्वयं आ जाते है जो हमारी भावनाओं को सरलता और मधुरता से स्पष्ट करते है।हम सभी ने हिंदी को जन्म से ही सुना होता है इसलिए हिंदी को
माँ भी कहा गया है।जिन्होंने हिंदी के लिए संघर्ष किया वे हमेशा हिंदी का प्रयोग करने के कारण ही इसमें सफल हुए।मैं लेखिका श्रीमती बीना नौडियाल खंडूरी जी की इस बात से सहमत हूं की भले ही हम अपने बच्चों की शिक्षा इंग्लिश मीडियम में करवायें पर हमें अपने बच्चों को हिन्दी भाषावादी ही बनाना चाहिए।वे लिखती है इंटरनेशनल भाषा जो कि इंग्लिश है,उसकी शिक्षा लेना व अपने बच्चों को दिलवाना अति आवश्यक है।यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है। इससे कोई इंकार नही कर सकता है की कामकाज की दृष्टि से विदेशों में अंग्रेजी भाषा ही उपयोग में आती है लेकिन जब हम हिंदी भाषी लोगों से मिलने पर भी अंग्रेजी में बातचीत करते है तो हमारी भारतीय पहचान हमसे छूट जाती है।इसी तरह से जब हम अपने दैनिक जीवन में भी अंग्रेजी के शब्दों का अनावयक प्रयोग करते है तो यही कहा जा सकता है की हम अपनी मूल जड़ से अलग हो रहें है।किसी हिंदी भाषी दुकानदार से शक्कर के स्थान पर शुगर,जूते के स्थान पर शूज,पानी के स्थान पर वाटर,चांवल के स्थान पर राईस- कहना किसी भी दृष्टि से ठीक नही कह सकते।इस स्थिति में दुकानदार अवशय एक नजर आपको ऊपर से नीचे तक जरुर देखेगा।वह भले ही कोई टिप्पणी न करे तब भी मन में जरुर हिंदी के लिए कुछ न कुछ चिंता अवशय करेगा।यह एक उदाहरण है ऐसी स्थिति बहुत बार हममें से बहुतों ने देखी होगी।हम सभी को पता है की किसी भी भाषा की लेखनी के ढंग या लिखावट के तरीके को लिपि कहा जाता है।संस्कृत,हिंदी,मराठी गुजराती सभी में देवनागरी लिपि का ही प्रयोग होता है।अक्षरों की ध्वनियों को लिखित रुप में प्रकट करने के लिए निर्धारित व्यवस्था को लीपि कहा जाता है और इस लिपि का विकास मानव सभ्यता के साथ जुडा़ है।विश्व हिंदी दिवस के शुभ अवसर एक संदेश हम सभी के लिए यही हो सकता है की हम सभी हिंदी शब्दों का ही उपयोग अपने लेखन और सम्वाद में करें। हिंदी की सेवा माँ भारती की सेवा है।आईये हम सभी हिंदी का मान बढा़ऐं।कलम बोलती है साहित्य समूह के विषय प्रदाताओं को धन्यवाद जिन्होंने विश्व हिंदी दिवस पर सार्थक लेख आमंत्रित किये।इसे स्मरण रखा। --- कामेश्वर खण्डूडी़ 🙏


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