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शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ सुनीता चमोली जी 🏅🏆🏅

कलम✍🏻बोलती है साहित्य समूह मंच को नमन जय माँ शारदे विषय क्रमांक-:383
विषय-:हिंदी विधा -:गीत                                                          
रचना-:मौलिक /अप्रकाशित
दिनांक-:10/01/2022                                              
                        -हिंदी - (विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में)
कोई कहता तुम वेदों में छुपी हो 
कोई कहता तुम कहानियों में छुपी हो
कोई कहता तुम कविताओं में छुपी हो
कोई कहता तुम गीतों में छुपी हो
कोई कहता तुम काव्यों ने छुपी हो
कोई कहता तुम महाकाव्यों में छुपी हो मैं कहती तुम हर दिल में छुपी हो
कोई कहता तुम राजभाषा हो कोई कहता तुम राष्ट्रभाषा हो                                            
कोई कहता तुम शब्दकोश हो कोई कहता भाषाओं की जननी हो
कोई कहता तुम भाषा सौंदर्य हो विश्व पटल पर परचम लहराया है
जन्म लेते ही मैंने हिंदी सुनी थी
जब माँ का स्पर्श मुझे मिला था।
जब संसार में पहला कदम रखा था
मेरी हर सांसें हर स्वर हिंदी थी
जो शब्द बनकर मुझे दुलारती थी 
आज भी जीवन इसी पर निर्भर है
कर्म तन भक्ति नित नयन ये है
मेरे लिए तो प्रण-प्राण है हिंदी
बुद्धि प्रकाशित चित्त प्रफुल्लित
हृदय प्रेम से भर भर जाता है तनमन आनंदित हो जाता है
वैभव से परिपूर्ण हो जाता है
जब-जब "हिंदी" स्वर आता है।
     - सुनीता चमोली

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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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