मेरी मातृभाषा है हिंदी
पुष्प की अभिलाषा है हिंदी
भारत के सभी प्रांतों को
एक धागे में पिरोती है हिंदी।
हजार वर्ष का समृद्ध साहित्य है हिंदी
‘स्वयंभू’ का पडम चरिया (पदम चरित) है हिंदी
कबीर की वाणी-साखी
मीरा का गोपाला है हिंदी।
सुरदास की बाल लीला
बिहारी का श्रृंगार रस
रहीम के दोहे – सोरठे – बरवै
संतोष धन है हिंदी।
रैदास का चंदन पानी
खुसरो की पहेलियाँ-मुकरियाँ
नवीन की उर्मिला के गले में
तुलसी के पद पिरोती है हिंदी।
गुप्त की भारत-भारती
मिश्र की त्रिकाल संध्या आरती
सुभद्रा के ‘बिखरे-मोती’
देशभक्ति का ‘बहता झरना’ हैं हिंदी।
भारतेंन्दु की खड़ी बोली
कालिदास का मेघदूत
मुल्ला दाऊद की प्रेमकथा चंद्रायन
पं द्विवेदी का जागरण सुधार काल हैं हिंदी।
गुरु नानक की ‘जपुजी’
जायसी की पद्मावत
सुमन का जीवन के गान
अज्ञेय का पद्य और गद्य हैं हिंदी।
बच्चन की मधुशाला
धर्मवीर की कनुप्रिया
प्रसाद की कामायनी
महादेवी के गीतों की खानी है हिंदी।
युगवाणी पंत की पुकारती है हिंदी
दिनकर की रसवंती बातें है हिंदी
चंद बरदाई का पृथ्वीराज रासो
प्रेमचंद की अद्भुत कहानियां है हिंदी।
निराला की राम शक्ति पूजा महाकविता है हिंदी
दुष्यंत की अनमोल गजलें
भगवती की चित्रलेखा
नीरज का प्रेम रस प्याला है हिंदी।
, शिवानी , मृदुला सिन्हा
पुष्पा भारती, फणीश्वरनाथ रेणु,
कमलेश्वर ,देवीकनंदन खत्री, गुलेरी, नरेन्द्र कोहली,
भीष्म सहानी-यशपाल, जैनेद्र कुमार
अनगिनत साहित्यकारों की कलम है हिंदी।
इस छोटी सी कविता में समेट सकती नहीं
हिंदी साहित्य के रतनों को
एक-एक अमूल्य धरोहर है
कोहिनुर है हमारी हिंदी।
सच कहूँ तो एक अनुपम वरदान है हिंदी
साहित्य की जान है हिंदी
फिजी, मारिशियस, मालद्वीप, सुरीनाम,
दक्षिणी अफ्रीका ,त्रिनिदाद तथा विश्व की सवा सौ विश्वविद्यालय में बड़े गर्व से बोली और पढ़ी जाती है हिंदी।
यह हिंदी साहित्य उपवन है बड़ा निराला
कभी न मुरझाये ऐसे विभिन्न महकते फूलों का
नमन-नमन-नमन
हमारे माथे की बिंदिया है हमारी हिंदी।
‘अभिमान से कहो हमारी राजभाषा ही नहीं
राष्ट्रभाषा भी हो हिंदी।
मंजू लोढ़ा, स्वरचित
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