#दिनांक----11/01/22
#विषय----हिन्दी
#विधा----कविता
#विषय क्रमांक---383
*------------------------------------- *
मातृभाषा और मातृभूमि हमसबका मान-अभिमान
जिसके पावन चरण कमलों से सफल सब अभियान
हिन्दी से वाणी का मोल,अंतर्भावों को मिले सही सम्मान
हिन्दी में दैवीय ज्ञान-प्रज्ञान,मानस का मुक्ति-समाधान
हिन्दी सर्वनिपुण,दिप्यमान ,सर्वज्ञ ब्रम्हांड में तारा समान
संबंधों की नीजता दे ,करे सफल स्वप्नों को दे निश्चित उडान
शिशु की वाणी 'मां 'से शुरु, फिर जीवनपर्यंत का संगत
गीत-संगीत की धुन-ताल, मनन-साधना का सबल आश्रय
वीणा का सप्तसुर,प्रकृति का हिन्दी मनुहार-दुलार
मिलकर सब मनाये त्योहार,करे हिन्दी का आभार
समस्त उपमा-अलंकार, अभिव्यक्ति का साजों-समान
हर अवसर जीवन का ,हिन्दी के संग हो जीवंत ,साकार
भक्ति का बीज-मंत्र,गोरी का रूप-श्रृंगार,करूणा-पुकार
वीरों का शौर्य, देशभक्ती का ओज,शहीदों की अमरगाथा
वेद-पुराणोंं की व्याख्या,कला-साहित्य का जननी-काया
जन-जन की गहना,करे शीतल तन,मन की अभिलाषा
बांधे एकसूत्र ,विविध भारत को अपने आंचल मे पिरोया
हर भाव,अनुभूति को शब्दावली से सजा-संवारकर
हिन्दी है भारत की पहचान, संपूर्ण विश्व मे इसका है नाम
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
[ ] #पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
@अर्चना श्रीवास्तव 'आहना', मलेशिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें