कलम बोलती है समूह
क्रमांक 383
दिनांक 11/01/2022
विषय – हिन्दी
विधा- कविता
शीर्षक – हिन्दी का सम्मान
जब जब होता, हिन्दी का अपमान
विश्व पटल पर, भारत का घटता मान,
दस जनवरी विश्व हिन्दी दिवस मनाते
हिन्दी बोलने में, क्यों खोते स्वाभिमान|
क्यों केवल हिन्दी दिवस पर सम्मान मिले
क्यों न पूरे बरस, फूल बन आँगन में खिले,
सबसे सरल मीठी है, हमारी हिन्दी भाषा
नत है जैसे पर्वत, ऊंचे नील गगन तले|
विश्व हिन्दी दिवस पर, हिन्दी करे पुकार
मैं मांगु दिल में जगह, अपना अधिकार,
जन मानस को जोड़ बनी हूँ सबकी भाषा
हिन्दी हूँ मैं, मन से कर लो मुझे स्वीकार|
कैसे मैं बयान करूँ, क्या है मेरी व्यथा
क्षेत्रों में बटी हूँ, दुखभरी है मेरी गाथा,
राजनीति दूर करो, भाषा विवाद वालों
सम्मान हो सबका, हर भाषा से मेरा नाता|
रचनाकार का नाम- संजीव कुमार भटनागर
लखनऊ, उ. प्रदेश
मेरी यह रचना मौलिक व स्वरचित है।
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