बिषय क्रमांक - 383
बिषय - हिन्दी
विधा - गीत
हिन्दी राष्ट्र धरोहर है
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हिन्दी बोली है मनमोहक, लिपि इसकी मनोहर है ।
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
राजभाषा हिन्दी हमारी
हिन्दी में सब कार्य करें,
बन जाए यह राष्ट्र भाषा
ऐसा हम प्रयास करें,
हिन्दी है हिन्द की पहचान, देश की गुलमोहर है ।
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
लोरी लगती वाचन में है
सुनने में मिसरी लगती,
पास आया जो हिन्दी के
उसके उर को भा उठती,
विविध विधाओं से परिपूर्ण, लगती एक सरोवर है ।
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
दोहा चौपाई कुण्डलियाँ
हिन्दी का श्रृंगार करें,
रस छन्द अलंकार लक्षणा
इसका साज बुहार करें,
लोक बोलियों की जननी यह,वाणी अति मनोहर है ।
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
वैश्विक भाषा हिन्दी बने
हम कर्म प्रधान यतन करें,
भग जाएगी देश से इंग्लिश
दृढ़ इच्छा से करम करें,
मंदारिन अँग्रेज़ी जर्मन से, यह लगा रही सरवर है ।
जन-जन की भाषा यह मेरी, हिन्दी राष्ट्र धरोहर है ॥
रचना स्वरचित ©
जय हिन्द सिंह 'हिन्द'
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