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गुरुवार, 13 जनवरी 2022

विषय :- हिन्दी ।रचनाकार :- आ. बीना नौडियाल खंडूरी जी 🏅🏆🏅

नमन् साथियों🙏
जय माँ शारदे 🙏
कलम बोलती है साहित्य समूह... 
दिनांक.. १०/१/२०२२.
विषय.... " हिन्दी "
विधा... लेख.

जैसा कि आप सभी को विदित है , कि आज विश्व हिन्दी दिवस है । 
    हमें अपनी हिन्दी भाषा पर अभिमान है, गर्व है। 
 हम अपने बच्चों की शिक्षा, भले ही इंग्लिश मीडियम में करवायें, पर हमें अपने बच्चों को हिन्दी भाषावादी ही बनाना चाहिए, मैं मानती हूँ, कि इंटरनेशनल भाषा जो कि इंग्लिश है, उसकी शिक्षा लेना व अपने बच्चों को दिलवाना अति आवश्यक है, कार्यक्षेत्र के लिए, विदेश में कार्य करने हेतु या हमारे व्यवसाय के लिए , बेशक हमें अच्छी इंग्लिश आनी चाहिए, परन्तु हम इंग्लिश भाषा सीखते ही, अपने हिन्दुस्तानियों के साथ भी इंग्लिश में ही बात करना गौरवान्वित होते हैं, कि हमें तो अच्छी इंग्लिश आती है, उसको तो इंग्लिश आती ही नहीं, और हम अपने को " वेल एजुकेटेड " समझने लगते हैं। 
       इंग्लिश का प्रयोग वहाँ पर किया जाना चाहिए, जहाँ पर अतिआवश्यक हो, अपने हिन्दुस्तानियों के सामने इंग्लिश भाषा बोलकर "शो ऑफ" करने की जरूरत क्यों 
पड़ती है? पड़नी तो नहीं चाहिए । 
        मैं पिछले बीस साल आबू धाबी ( यू.ए.ई.) रहीं हूँ, 
वहाँ पर सभी स्थानीय अपनी भाषा में ही बोलते हैं, यहाँ तक कि, जिन्हें वहाँ पर अपना व्यवसाय करना होता है, उन्हें उनकी स्थानीय भाषा आनी चाहिए, वहाँ के दुकानदार अरबी भाषा का प्रयोग करते हैं, स्थानीय नागरिकों के साथ, क्योंकि वो अपनी ही भाषा में सामान खरीदेंगें, बात करते हैं। 
   तो फिर हम अपनों के साथ अपनी ही भाषा में बात करने में हिचकिचाते क्यों हैं, क्योंकि हम इंग्लिश मीडियम से शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं क्या इसलिए???? 
 अंत में, मैं तो यही कहूँगी, कि मुझे तो अपनी " हिन्दी भाषा " में गर्व है अभिमान है ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। 
जयहिंद, जय भारत🇮🇳..... 

मेरी कलम, मेरे विचार... 
बीना नौडियाल खंडूरी पूर्व अध्यापिका.
देहरादून...

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