मंगलवार /11.1.2022
विषय क्र. 383
विषय --हिंदी
विधा -दोहे
1.
ज्ञानी तक, अ अनपढ़ से,जो ले जाती मीत।
मना विश्व हिंदी दिवस, हिंदी की है जीत।।
2.
संस्कृत की जाया यही, भारत की पहचान।
राष्ट्रीय एकता धुरी, हो हिंदी उत्थान।।
3.
हिंदी में जो बात है, नहीं किसी में और।
चर्चा हिंदी में अगर,मुस्काता हर दौर।।
4.
तुलसी की भाषा यही, और सूर का गान।
माखन से मिश्री मिली, ज्यों कबिरा रसखान।।
5.
गीत, लघुकथा, गीतिका,सब हिंदी की दैन।
दोहा हो या कुंडली, पढ़कर मिलता चैन।।
6.
इधर देश में फैलती, उधर विदेश प्रवेश।
मन अभिव्यक्ति के लिए,हिंदी है सर्वेश।।
7.
निज स्वदेशी निज भाष पर, अगर नहीं अभिमान।
जीवित लगते हों भले, वो हैं मृतक समान।।
8.
हिंदी हिंदुस्तान की, हस्ती का है गान।
हिंदी की उन्नति किए, बढ़े देश का मान।।
*****स्वरचित ***********
प्रबोध मिश्र 'हितैषी'
बड़वानी (म. प्र.)451551
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