दिनांक:10/1/22
विषय:हिंदी
विधा:कविता
हिंदी ही हमारी अद्भुत दिव्य पहचान है
हिंदी ही हमारी मातृभाषा की शान है
विश्व में हिंदी भाषा की अन्तहीन मंथन है
हिंदी भाषा ही ज्ञान विज्ञान का जीवन है ।
हिंदी का लचीलापन विश्व का विश्वास है
हिंदी विस्तारित प्रखर प्रेरित प्रबुद्ध प्रकाश है
जन जन की उदीयमान प्रतिमान पहचान है
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा सर्वश्रेष्ठ विश्वास है।
हिंदी ज्ञान विज्ञान धर्म साहित्य प्रकाश है
राजनैतिक चरित्र का अन्तहीन इतिहास है
हिन्दोस्तान की सार्वभौमिक ज्ञान प्रकाश है
जाति धर्म साहित्य सांस्कृतिक विश्वास है।
मेरी महान आदर्श मातृभाषा हिंदी है
वेदों पुराणों की पुण्याह पहचान हिंदी है
राजभाषा अमूर्तरूप बन साजती हिंदी है
शब्दावलियां सदा विराजती हिंदी है।
स्वरचित मूल रचना
रचनाकार:गार्गी राजेन्द्र गैरोला
देहरादून,उत्तराखंड।
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