#विषय :- हिन्दी
विषय क्रमांक ३८३
#विधा:- स्वैच्छिक
#दिनांक- ११/०१/२०२२
***********************
हिन्दी हमारी आन हैं, हिन्दी हमारी जान हैं।
हिन्दी हमारी शान हैं, हिन्दी पर अभिमान हैं।
हम हिंद के वासी हैं, भाषा हमारी हिन्दी हैं।
भारत माता के माथे की शोभा, ये बिंदी हैं।
साहित्यकारों की लेखनी को सुहाती हिन्दी हैं।
कवियों की रचनाओं को भी प्यारी हिन्दी हैं।
भारत छोड़ो आंदोलन की भाषा भी हिन्दी थी।
स्वतंत्रता सेनानियों के रग रग में बहती हिन्दी थी।
देश रहो परदेश रहो मुथा हिन्दी को अपनाना हैं।
अपने बच्चों को हिन्दी का ज्ञान दिलाना हैं।
**************************
स्व रचित- कवि छगनलाल मुथा-सान्डेराव (ओस्ट्रेलीया)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें