भारत देश की शक्ति है हिन्दी ।
एक सहज अभिव्यक्ति है हिन्दी ।
क्यों न हिन्दी अपनायें हम ,
कलमकार की भक्ति है हिन्दी ।
संस्कृत ने जन्म दिया है,
उर्दू के संग खेली है ।
मेरे देश की मिश्रित हिन्दी
भाषाओं की सहेली है ।
अन्य क्षेत्र की भाषाओं का
तुम बेशक सम्मान करो ।
हिन्दी शान है भारत माँ की
मत इसका अपमान करो ।
हिन्दी सूत्र है भाषाओँ की ,
गले में चेन हो जैसे कोई ।
हिन्दी चेन की लाकेट जैसी,
संविधान में गई पिरोई ।
तुलसी की चौपाई हिन्दी ,
कृष्ण भजन है सूरा की ।
हिन्दी में रसखान का रस है,
भक्ति भाव है मीरा की ।
हिन्दी भाषा, हिन्द की बेटी,
भारत की पहचान ।
हिन्दी लिखें ,बोलें हिन्दी में ,
निज भाषा से बढ़ती शान ।।
योगेन्द्र अग्निहोत्री,स्वरचित
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