#कलम बोलती है साहित्य समूह
क्रमांक 383
विषय- हिंदी
शब्द है छोटा लेकिन भाव
बहुत ही गहरा है,
हिंदुस्तान है पहचान मेरी
तो हिन्दी मेरा चेहरा है।
सबल अडिग हिन्दी ने ही
आजादी का प्रचम लहराया,
कश्मीर से कन्याकुमारी
तक फिर से तिंरगा फहराया।
मेरी हिन्दी भाषा ने ही
सभ्यताओं को जोड़ा,
एकजुट करके पूरे भारत
को अंग्रेजी का भ्रम तोड़ा।
हिन्दी के पीछे सभ्यता चली
सभ्यता चली और फूली फली,
हिन्दी के सामर्थ्य से थी
आजादी की मशालें जली।
नत मस्तक हूँ हिन्दी को मैं हिन्दी
मेरी शान और मेरा अभिमान है,
वतन पर मेरी जान न्यौछावर तो
हिन्दी पर दिल कुर्बान हैं।
शब्द है छोटा लेकिन भाव
बहुत ही गहरा है,
हिंदुस्तान है पहचान मेरी तो
हिन्दी मेरा चेहरा है।
जय हिंद जय हिंदी
संध्या सेठ
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