#कलम बोलती है साहित्य समूह
प्रतियोगिता क्रमांक 383
दिनांक 10/01/2022
विषय हिंदी
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
हिंदी भाषा को समर्पित कविता
कितना शुद्ध है हिंदी भाषा का अस्तित्व आओ समझे
स्वर व्यंजन के मेल से शब्दों का निर्माण हुआ
जो लिखा गया वैसी ही ध्वनि हुई
वैसा ही संचार हुआ ।
मौन कुछ भी नहीं होता हिंदी में
सभी वर्णों का मोल यहां समान है
अस्तित्व हीन होना तो दूर की बात है
अक्षर आधा हो तो भी सिर चढ़ कर बोलता है
हमें तो बिंदी पर भी अभिमान है।
ऐसी कोई ध्वनी नहीं
जिसका लोप हिंदी में हो
संगीत सरल कितना भी हो
स्वर सभी हर भाषा में मिलते नहीं
चाहे अंग्रेजी हों या अन्य में हों ।
व्याकरण कितना सुन्दर और समृद्ध है
ये रस , छंद और अलंकार से जानो
विदेशी भी सीख लेते हैं सहजता से
हिंदी की सरलता और सौम्यता को पहचानो।
कितने भाषाई आघात हुए
जाने कितने शाब्दिक संक्रमणों को झेला है
अंग्रेजी माध्यम में अर्थ दंड भी देना पड़ता है
जब भी कोई हिंदी में बोला है ।
पर भाषा हिन्दी हमारी
हमारे प्राणों में बसती है
तन का श्रृंगार तो कैसे भी कर लो
पर आत्मा तो सदैव ईश्वर की ही होती है ।
दिवस हिन्दी एक दिन का नहीं
ये युगों-युगों की बात है
अहंकार मिलेगा नहीं यहां
सब में मिलकर भी अलग अस्तित्व हो जाती है
तभी हिंदी, भाषा प्रेम की कहलाती है ।
स्वरचित 🙏
,,,,,,,,,R.B
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