मंगलवार/30.11.2021
विषय-आम आदमी
हां इस भारत देश का, एक आम आदमी हूँ मैं।
मन में कई सपने परन्तु, यथार्थ में संघर्षों का मारा हूँ मैं।
कहते सुबह के सपने होते सच है,पर तड़के जल्दी उठ जाता हूँ मैं।
उठो! अब पानी आने का टाइम हो गया,
श्रीमतीजी की आवाज़ को अलार्म जो समझता हूँ मैं।
हां इस भारत देश का, एक आम आदमी हूँ मैं।
बेटे को समय से स्कूल छोड़कर आना,
चाय के साथ अख़बार के पन्ने पलटना,
अरे! थोड़ा सब्जी कटवा दो मुझे, न कहना देर हो गई।
मधुर वाणी से हड़बड़ा जाता हूँ मैं।
हां इस भारत देश का, एक आम आदमी हूँ मैं।
नित पेट्रोल के दामों ने, जेब काट दी है।
रसोई गैस,और बिजली बिल के बढ़ते भाव ने,
ज़िन्दगी दुश्वार कर दी है।
ऊपर से ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल रिचार्ज,
तो दूजे तरफ स्कूल में फीस भी भरनी हैं।
क्या खाऊंगा और क्या मैं बचाहूँ, कश्मकश में सदा रहता हूँ मैं।
हां इस भारत देश का, एक आम आदमी हूँ मैं।
ऑफिस किसी दिन जो, देर से पहुँचता।
बॉस की तीखी नज़रों से,स्वयं को बचता।
पैसे ना काट जाएँ,गर छुट्टी करी तो,
प्रमोशन के लिए, कड़ी मेहनत करता हूँ मैं।
हां इस भारत देश का, एक आम आदमी हूँ मैं।
मुझे देश के उच्च वर्ग से, कोई बैर नहीं।
मैं ठहरा आम आदमी, क्या टिपण्णी करूँ, वर्ना खैर नहीं।
निर्धन तबके के लिए फिर भी, राशन मुफ्त है।
यहाँ तो प्याज़ टमाटर के बिना सब्जी से स्वाद लुप्त हैं।
emi पटाऊँ ,या lic भरूँ,
मैं आम आदमी, बेचारा क्या क्या करूँ।
फिर भी समाज में अपने परिवार के, मान को ना झुकता हूँ मैं।
हां इस भारत देश का एक आम आदमी हूँ मैं।
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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