नमन मंच (कलम बोलती है साहित्य समूह)
१५/३/२०२३
विषय--शीतलता
संचालन --आ.कन्हैयालाल गुप्त जी
सादर समीक्षार्थ
#शीतलता
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मन को जो शीतलता दे ,
ऐसा गीत कहाँ से गाऊँ
मन मेरा है उदास
खुशी के सुर कैसे सजाऊँ?
जीवन में मिलना बिछुड़ना क्यों
क्या यही जग का नियम है..
जो आया है वो जाएगा
फिर क्यूं दिल में तड़पन है???
ऐ दिल तू ही बता मुझको
मैं कैसे मन को समझाऊँ ?
मन को शीतलता दे
ऐसा गीत कहाँ से गाऊँ??
पन्ने पलटे डायरी के ,
कुछ गुलाब की पंखुरियां
बिखर ,मुस्कुराई
ठंडक पहुंची दिल को..
याद किसी की आई
नई -पुरानी बतियां
दिल में मुस्कुराई,
कुछ यादों से
आँखें भर आई
कुछ यादें
मन ही मन मुस्कुराई...
कानों में हौले से
राग नया सुना गई
यही तो जीवन है
सुख -दु:ख तो
आना - जाना
मत हो उदास
मीत तुम्हारा है साथ
गीत खुशी के गाओ
जीवन में हर सुर-साज़ सजाओ!!
*शशि मित्तल "अमर"*
स्वरचित
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
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