नमन कलम बोलती है साहित्यिक मंच
विषय- पथिक
09/01/23
सोमवार
गीत -मैं पथिक सच की डगर का
मैं पथिक सच की डगर का, अनवरत चलता रहूँगा,
शूल कितने भी हों पथ में, कर्म मैं करता रहूँगा।
आज भ्रष्टाचार - अत्याचार ने जीवन छला है,
कोई भी परकाज-हित करता नहीं किंचित भला है, इसलिए सद्भावना की अलख जन-जन में जगाने ,
मैं सदा सन्मार्ग पर चलने का शुचि-संदेश दूँगा।
मैं पथिक सच की डगर का ...........
दूर है मंजिल बहुत पर मैं नहीं थककर रुकूंगा,
राह की कटुतम चुनौती देखकर न मैं झुकूंगा,
मैंने पथ पर आगे बढ़कर लौटना सीखा नहीं है,
इसलिए झंझावतों से जूझकर आगे बढूंगा।
मैं पथिक सच की डगर का ..........
लाख काँटे लोग मेरी राह में आकर बिछा दें , विघ्न-बाधाओं से जीवन कठिनतम मेरा बना दें,
किन्तु इस काँटों भरी संघर्षमयी जीवन डगर पर,
मैं नये संकल्प का दृढ़ भाव हृदय में भरूँगा।
मैं पथिक सच की डगर का ..........
स्वरचित
डॉ ललिता सेंगर
उत्कृष्ट लेखन 👌🏼
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