विषय क्रमांक-383
विषय- हिन्दी
दिनांक-10-01-2022
समीक्षा हेतु सादर प्रेषित है।
विधा- कविता
हिन्दी
--------
सुन्दर मुहावरों व कहावतों से
अभिमंडित है हमारी भाषा हिन्दी
गौरवशाली, गौरवप्रदायनी,ज्ञानदायिनी
भाषा यह----
संस्कृति का नित् नित् सिंचन करती यह
सरल है, सुबोध है
अंधकार में आशा की किरण है यह महान ग्रन्थों में संग्रहित
इसने दिये संदेश अनेक
अनुभूतियों के बुनती ताने बाने
भावनाओं से करीब होते अन्जाने
माध्यमों में चमकती अत्याधिक
पारस्परिक संवादों को गढ़ती निर्विवाधिक----
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
हिन्दी की आन, बान और शान है
भारतवर्ष की राजभाषा
उसकी पहचान है-----
यह वह पावन गंगा सी
जिसमें समाहित प्रादेशिक भाषाऐं भी
हर एक का करती सत्कार है
छंद,अंलकार से सुसज्जित
इसका हर एक शब्द है
कर्णप्रिय यह बन जाती
जब मात्राओं में घोली जाती
संगीत के सात सुरों में जा बसती
कितने गीत-काव्य सहजता से रच देती----
ज्ञान की ऐसी ज्योत जलाती
विज्ञान का भी आधार बन जाती
निज भाषा का मुझे अभिमान है
हिन्दी है हमसे, हिन्दी से हम है
हिन्दुस्तान के आभामंडल पर यह
सूर्य की किरणों पर अंकित
गौरवगान है----
हिन्दी भाषा महान है
हिन्दी भाषा महान है---।
---- निकुंज शरद जानी
स्वरचित और मौलिक कविता सादर प्रेषित है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें