बदलते परिवेश में जहां हर क्षेत्र में आधुनिकीकरण का विकास हुआ है। वहीं शिक्षा क्षेत्र में भी आधुनिकीकरण का विकास होना स्वाभाविक है, लेकिन ये किस हद तक सही है, ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है।
हर बात के दो पहलू होते हैं, उसी तरह उस के भी सही और गलत दो पहलू हैं। हाँ, ये हम पर निर्भर करता है,कि हम इसका उपयोग कैसे और किस तरह करते हैं, उसी तरह इसका परिणाम भी होता है।
यदि हम आज की विकट स्थिति को देखते हुए कहे तो ये बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। क्योकि आज महामारी की वज़ह से बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते। यदि आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
वहीं हम यदि मानसिक विकास के बारे में सोचते हैं, तो ये बहुत ही घातक भी साबित हो रहा है क्योंकि आज इन्टरनेट ने जहां बहुत ही कम समय में जानकारी उपलब्ध करायी हैं। वहीं बच्चों के मानसिक विकास में बाधा भी उत्पन की है। बच्चे मनन करना भूल गये हैं। हर प्रश्न का उत्तर उनको सिर्फ बटन दबाते ही मिल जाता है, तो वो लोग याद रखना भी जरूरी नहीं समझते हैं। इससे उनके मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न हुई है।
अतः मेरा विचार से हमें अपने बच्चों को आधुनिक स्त्रोतों का उपयोग जरूर करने देना चाहिए लेकिन अपनी मौजूदगी में और सिर्फ आवश्यकता अनुसार ही। तभी हम अपने बच्चें के अच्छे और सुदृढ़ भविष्य का निर्माण कर पायेगे।
उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित
बहुत ही अच्छे से आपने समझाया आदरणीया उमा जी।
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