नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
क्रमांक- 337
विषय -प्रेम की गागर
दिन- शनिवार
विधा -कविता
दिनांक- 18 /9 /2021
नहीं झलकती प्रेम की गागर हरदम यूहीं
नहीं सरसता प्रेम का सागर हर पल यूहीं
नहीं बरसता नेह का बादल हरदम यूही
खिलते नहीं हैं सुमन बगीचों मे यूहीं
बहती नहीं प्रेम की नदियाँ हरदम यूही
यह तो बहती हैं ही उफान आने पर ही
लिखती है कलम विचार आने पर ही
नहीं झलकती प्रेम की गागर हरदम यूही
जीवन सबका लगता नहीं सरल सबको
सुख मिले सभी को नहीं है मुमकिन
प्रेम की गागर झलकी थी राधा के मन में
प्रेम का पौधा पनपा था मीरा के मन में
सूरदास की लगी लगन थी श्री कृष्णा से
तुलसी की मिट गई तृष्णा राम लेखन से
मेरा भी मन पावन हो इनके आचरण से
जीवन हो सरल इनके अनुसरण से।।
स्वरचित एवं मौलिक
ब्लॉग के लियेb
नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
क्रमांक -338
विषय -श्राद्ध पक्ष
दिन -गुरुवार
दिनांक -23/9/ 2021
श्राद्ध पक्ष है आया
पित्रों का मन हर्षाया
अपने स्वजनों से मिलने का
फिर से अवसर आया
अपने पूर्वजो को
मनाने का अवसर आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
द्वारे पर रंगोली बनाओ
फूल और पत्तों से उसे सजाओ
अपने पितरों को
रिझाने का समय आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
प्रेम से खीर और पुड़ी बनाओ
अपने पित्रों को को भोग लगाओ
प्रेम से उनकों जिमाने का अवसर आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
हमारे पूर्वजों का ऋण
कम नही हमारे सिर पर
क्या क्या दुख उठाकर
हमें लायक बनाया
अपने पितरों पितामहों के
ऋण चुकाने का समय आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
जीवन भर था उन्हें सताया
उसके पश्चाताप का अवसर आया
कुछ कर्म कर उनसे आशीष
बरसाने का पल आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
अशिवन पूनम को
सबके घरों में पधारे
पितृमोक्ष अमावस्या को
छोड़ कर विदा हो जायेंगे
फल फूल वस्त्र देकर
उनकों संतुष्ट करके
विदा करनें का अवसर आया
श्राद्ध पक्ष है आया
पितरों का मन हर्षाया
अपने स्वजनों से फिर से
मिलने का अवसर आया
स्वरचित एवं मौलिक
सीमा शर्मा
कालापीपल मध्यप्रदेश
ब्लॉग के लिये सहर्ष
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