नमन मंच🙏
कलम बोलती है
विषय:-- --"वो लम्हे"
क्रमांक-- 331
07.09.21
कविता
नहीँ भूल पाए वो लम्हे
ए जिंदगी! जब तूने सपने दिखाए
कभी खुशियों के मेले घुमाए
कभी दुख के सागर में गोते लगवाए
लम्हे बेहद करीब रहे जिंदगी तेरे
हम हैं शुक्रगुज़ार सुख दुख की
यह महफ़िल सजती रही बस
हर बार...
आज उस पल की करती हूं ह्रदय से आभार
जब वेदना पिघल कर करती रही अश्रुधार
धन्य है कलम तेरा तूने संवेदना को सहर्ष
किया साकार
कविता बनी जब ह्रदय की पीड़ा का आधार
लम्हे वे भी आते हैं याद बहुत जब मंच कलम
ने स्वागत कर किया अंगीकार
सौ बार धन्य कविता कलम का मंच
जब अनगिनत रचनाकारों के हुए सपने साकार।
स्वरचित ,मौलिक
डॉ अर्चना नगाइच
07.09.21
ब्लॉग के लिये
Bahut sunder likha hai
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