🙏 सादर नमन मंच 🙏
#कलम ✍️ बोलती है साहित्य समूह
#विषय क्रमांक - 331
#दिनांक -07/09/2021
#दिन - मंगलवार
#विषय - वो लम्हें
#विधा - कविता
स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र.) ***************************
*वो लम्हें*
वो लम्हें तुम लौटा दो,
जो साथ बिताये मेरे।
फिर दूर हुए तुम ऐसे,
जैसे बादल बड़े घनेरे ।
उन लम्हों में जीना मरना,
वो वादे संग थे तेरे ।
कैसे उनको अपना समझूँ,
जो हुए कभी न मेरे ।
उर में सदा समाई मेरे,
यादों की पूंजी ये तेरे ।
नही शिकायत,न ही शिकवा,
खुशियाँ इतनी हिस्से मेरे।
विश्वास कि ज्योति जली,
उम्मीदें,सपने पलते थे मेरे।
मन हार गया अब मेरा,
छांटे नहीं है घोर अँधेरे ।
सरगम मिली जिंदगी को,
ख्वाबों से थे वो लम्हें तेरे ।
संगीत सा फिर सजाया उन्हें,
गाया जिन्हें अधरों ने मेरे ।
यादों की बदली छाती,
वो लम्हें साथ में लाती ।
जब होते थे सुखद सवेरे,
वो लम्हें थे मेरे,वो लम्हें थे मेरे ।
*****
रीवा (म.प्र)
ब्लॉग के लिए 🙏
🙏 सादर नमन मंच 🙏
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#विषय - गणेश वंदना
#बिषय क्रमांक - ३३३
#विधा - स्वैछिक (चौपाई)
#दिनांक - ११/०९/२०२१
स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र.) ***************************
*चौपाई*
शिव जी के ये सुत हैं प्यारे।
गौरी नंदन नाथ हमारे।।
इनकी महिमा सबसे भारी।
मूषक की नित करे सवारी।।
एकदंत प्रभु आप कहाये
गजमुख नाम आप ही पाये ।
मोदक तुमको अतिशय भाया
सबने इसका भोग लगाया ।
विघ्न विनाशक सिद्ध विनायक
सबको वर देते सुखदायक ।
पहली पूजा के अधिकारी
दर पर खड़े सभी नर नारी ।
चरण शरण जो जन हैं आऐ
विपदा उनकी दूर भगाये ।।
रिद्धि सिद्धि के तुम हो स्वामी
कष्ट हरो तुम अंतरयामी ।।
***
स्वरचित- रश्मि शुक्ल रीवा (म.प्र)
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबधाई आपको
बेहतरीन ������
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