कोशिश,,,, मगर कितनी,,,
जी हां पिछले 15 सालों से कोशिश ही तो कर रही थी वो,जिंदगी को एक पटरी पर लाने की। कोशिश ही तो कर रही थी वो पति के होते हुए भी अकेले ही दोनो बचो को बड़ा करने की क्योकि जिसका पति अच्छे खासे शरीर का मालिक होते हुए भी केवल आवारागर्दी करता हो,जिसे केवल यार दोस्तो के साथ बैठ कर शराब पीने से फुरसत न हो ,जो केवल पत्नी की कमाई पर ज़िंदा हो,जिसे बिना किसी वजह के मानसिक व शारारिक पीड़ा 24 घंटे सहन करनी पड़ती हो,।वो ओर कर भी क्या सकती है।समाज के डर से,सिर्फ सहना जिसकी नियति बन गई हो ,वो ओर क्या कर सकती है बस एक कोशिश।। क्योंकि औरत को इस दकियानूसी समाज मे अगर जीना है तो मुँह कान ओर जबान सब बन्द करके,रहना पड़ेगा।और कोशिश करनी पड़ेगी की वो सिर्फ कोशिश ही करती रहे।,,,,,,,,,ढेर सारे प्रश्न चिन्हों के साथ।.
ब्लॉग के लिये।।
सुनीता शर्मा कलमकार।मंदसौर।मध्य प्रदेश।
हिंदुस्तान
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