नमन मंच कलम बोलती है
विषय ओ लम्हें
विधा पद्य
विषय क्रमांक 331
6 सितम्बर 2021,सोमवार
वे स्मरण भूल न सकते
जो जीया बचपन अपना।
श्याही से सने हाथ रहते
वह लम्हें लगते हैं सपना।
सूत कातते थे तकली से
तख्ती उपर सुलेख लिखते।
अंत्याक्षरी में खड़े होकर के
सोरठा पद्य ,चौपाई बोलते।
विद्यालय की घण्टी बजती
अति जोर से हम चिल्लाते।
छुट्टी होती घर पर जाते हम
बड़े मजे से , नदी में नहाते।
खेत की मेड पर भुट्टे सेकते
नींबू नमक डालकर के खाते।
संगी साथी साथ हम बैठकर
करते मिलकर , हँसकर बातें।
वह बचपन के अतुलित लम्हें
अविस्मरणीय, सुखद पल थे।
मिलके खाना पीना खेलना
करते मिलकर, बैठ नकल थे।
स्वरचित,मौलिक
गोविंद प्रसाद गौतम
कोटा,राजस्थान।
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