नमन मंच,
#कलम बोलती है साहित्य संगम संस्थान
दैनिक विषय-331
विषय -वो लम्हे
दिन -सोमवार
दिनांक -6 सितंबर 2021
खता तो उन चंद लम्हों की थी,
सदियों ने हमेशा ही सजा पाई थी,
जलजले से उठ रहे थे सीने में,
उनसे हुई कितनी रुसवाई थी||
भाग्य को भाग्य का साथ न मिला,
हाथों को सौभाग्य का हाथ ना मिला, कितना भी टूट गया ,मन में लेकिन
सब कुछ निभाने की प्रतिज्ञा खाई थी||
स्वरचित
अनुराधा पांडे
रीवा (मध्य प्रदेश)
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