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#कलम बोलती है साहित्य समूह" के मंच को नमन
* रचना मौलिक और स्वरचित
#विषय क्रमांक.. 337
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#विषय...कोशिश
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#विधा ...स्वैच्छिक
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#दिनांक .....20 से 21 सितंबर तक
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#वार :- सोमवार से मंगलवार
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#समय :- सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक
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बेटी
प्रेम पूजा रिश्तों का बीज होती है बेटी
बड़े ही नाजों से घरों में पलती है बेटी
बाबुल की हर बात को मानती है बेटी
घर में माँ के संग हाथ बटाती है बेटी
छोटें भाइयों को डांटती समझाती है बेटी
माता-पिता का दायित्व निभाती है बेटी
संजा,रंगोली ,आरती को सजाती है बेटी
घर में हर्ष,उत्साह ,सुकून दे जाती है बेटी
ससुराल जाती तो बहुत याद आती है बेटी
पिया के घर रिश्तों में उर्जा भर जाती है बेटी
जिन्दगी को चलाने का मूलमंत्र होती है बेटी
हर कोशिश अधूरी रह जाती जब न होती बेटी
#संजय वर्मा "दृष्टि"
125,शहीद भगतसिंह मार्ग
मनावर जिला धार मप्र
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