रचना नंबर 1
************
नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय क्रमांक - ३३७
विषय - कोशिश
विधा - कविता
दिनाँक - २०/९/२०२१
दिन - सोमवार
संचालक - आप औऱ हम
जब प्रारब्ध परीक्षा लेता है
मनुज कठिन यातना सहता है,
सफलता असफलता की रेखा
कोशिश से पार कर लेता है|
विघ्न और बाधा मिल जाते हैं
पुरुषार्थ साहस थक जाते हैं,
सर्वस्व न्योछावर कर दे जो
कोशिश से अंबर पा लेते हैं|
जब भी तुमने प्रयत्न किया है
समस्या का हल निकला है,
साधा है जब पुरुषार्थ का तीर
पत्थर से भी जल निकला है|
कठिन राह पे जब तू निकला
मंज़िल की चाह में तू भटका,
प्रयास किया तूने पूरे मन से
सफ़ल जिंदगी में होके निकला|
कोशिश व मेहनत पूरक हैं
मंज़िल पाने के ये कारक हैं,
मंज़िल मिले या नया तजुर्बा
परिणाम इसके सुखकारक हैं|
स्वीकारो इसको इक चुनौती है
विजय इसकी शायद नियति है,
विजय चाहें हो आधी अधूरी
प्रयासों में तेरी कोशिश पूरी है|
#घोषणा : - मैं, संजीव कुमार भटनागर घोषणा करता हूँ कि यह रचना मेरी स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित रचना है। ब्लॉग पर प्रकाशन कि अनुमति है|
रचना नंबर -2
***********
नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#दैनिक विषय क्रमांक - 338
दिनांक - 22/09/2021
#दिन : बुधवार
#विषय - श्राद्ध - पक्ष
#विधा - कविता
नहीं भूलते आपको हम
आपसे ही अस्तित्व हमारा,
यादों, व्रतों, पुजा में शामिल तुम
तुमसे ही ये नाम हमारा|
पूर्वज कहें या पितृ पुकारें
संग सदा हैं आशीष तुम्हारे,
जीवन ये तो देन तुम्हारा
संस्कार प्रथा ये सभी तुम्हारे|
श्राद्ध पक्ष में हम करते तर्पण
खीर पूरी का तुम्हें करते अर्पण,
सोलह दिन महालय के कम हैं
ये जीवन तो है तुम्हें समर्पण|
जीवन का हर पाठ तुम ही से
मंज़िल की हर राह तुम ही से,
नमन तुम्हें कर आज पुकारा
ये श्रद्धा ये प्रार्थना तुम ही से|
तेरी छांव में पलकर बचपन
अपना जीवन बना था अनुपम,
गोद में तेरी खेल गले लगे थे
तेरे ऋण में बंधा है ये जीवन|
समर्पित श्रद्धा फूल हैं तुमको
अर्पित पसंद भोजन ये तुमको,
विप्र रूप या काग रूप में आना
समर्पण का ये नमन है तुमको|
#घोषणा : - मैं, संजीव कुमार भटनागर घोषणा करता हूँ कि यह रचना मेरी स्वरचित मौलिक और अप्रकाशित रचना है। ब्लॉग पर प्रकाशन कि अनुमति है|
बहुत सुंदर,उत्साहवर्धक और सकारात्मक कविता!ऐसे ही लिखते रहें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पंकज,
हटाएंसूंदर और सार्थक रचना ।
जवाब देंहटाएंनमन आपको
धन्यवाद आपका, एक छोटी कोशिश है शायद कुछ सीख पाऊँ और साहित्य में अपना योगदान दे पाऊँ|
हटाएंआदरणीय संजीव सर, सादर प्रणाम 🙏🏽।
जवाब देंहटाएंपत्थर से भी जल निकला है …❤️।
टॉनिक की तरह आपकी ऊर्जावान कविता 🙏🏽।
नवीन चने के झाड पर मत चढ़ाओ, कोशिश करने दो पहले|
हटाएंअद्धभुत, अद्वितीय, भावपूर्ण एवम सार्थक अभिव्यक्ति, बहुत बहुत साधुवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका|
हटाएं