रचना की विधा.......गीत
रचना का शीर्षक.....ठीक नहीं है सोते जगते
रचनाकार............... डॉ देवेंद्र तोमर
ठीक नहीं है सोते जगते
ठीक नहीं है सोते जगते
बिना बात के हंसते रहना
लोगबाग इस कारण तुमको
पागल कहने लग जाएंगे
माना खिलती हुई कली सी
बचपन और जवानी पायी
ऊपर मंडराते भंवरों की
पूरी एक कहानी पायी
ठीक नहीं है सोते जगते
हरदम मेघ बरसते रहना
लोगबाग इस कारण तुमको
बादल कहने लग जाएंगे
लोग-बाग इस कारण तुमको
पागल कहने लग जाएंगे
रतरानी में कचनारों में
माना खूब समायी हो तुम
छुई मुई सी और गुलाबी
पांखें पांखें पायी हो तुम
ठीक नहीं है सोते जगते
बनकर नजर लिपटते रहना
लोग बाग इस कारण तुमको
घायल कहने लग जाएंगे
लोग बाग इस कारण तुमको
पागल कहने लग जाएंगे
द्वार द्वार पर गली गली में
ऐसे जाया नहीं करो तुम
देख किसी की भी चितवन को
ऐसे गाया नहीं करो तुम
ठीक नहीं है सोते जगते
घुंघरू पांव खनकते रहना
लोग बाग इस कारण तुमको
पायल कहने लग जाएंगे
लोग बाग इस कारण तुमको
पागल कहने लग जाएंगे
ठीक नहीं है सोते जगते
बिना बात के हंसते रहना
लोग बाग इस कारण तुमको
पागल कहने लग जाएंगे
डॉक्टर देवेंद्र तोमर
अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष
विश्व साहित्य सेवा संस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें