श्री गणेशाय नमः🙏
महिमा गौरी पुत्र गणेश की करे हम वंदना
प्रथम पूजू आपको पधारो मोरे अंगना
लडुअन भोग लगाऊं धरू मिश्री अरु मेवा
निशि दिन जपूं नाम तेरा करो स्वीकार सेवा
कर प्रदक्षिणा मात-पिता की उनका मान बढ़ाया
उनके चरणों में चारो धाम जगत को समझाया
आठों सिद्धि नवनिधि के तुम ही हो दाता
बल विद्या बुद्धि के तुम ही तो हो प्रदाता
तज तुम्हारे चरणन को ठौर कहीं ना पाऊं
एकदंत दयावंत टेरि कर तुमको मैं मनाऊं
गणपति बप्पा बोलकर तुम्हें मैं रिझाऊं
अगले बरस आने की अरदास मैं लगाऊं
दीनबंधु दुख हर्ता तुम रक्षक सब के
दे आशीष दुख हरो तुम हम सबके
बुद्धिहीन को बुद्धिध देते निर्धन को धन देते
तुम हो नित्य दया के सागर विनती सुन लेते
प्रियदर्शिनी आचार्य
वाह वाह आदरणीया. ऐसे ही लिख़ते रहें. काव्य की रसधारा मे बहते रहें.
जवाब देंहटाएंशुभ आकांक्षी मुकेश तिवारी "लखनवी"