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बुधवार, 8 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी 🏆🏅🏆

नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक 08-09-2021
विषय अन्याय
विद्या लघुकथा

शीतल अपने परिवार की इकलौती लड़के थी उसकी शादी बड़े परिवार में गए जहां चार देवर थे।
और वह 5 भाई से एक बहन की बहन सबसे बड़ी थी बहन की शादी हो गई थी उसके बाद शीतल का पति रमेश की शादी शीतल के साथ हो गए बड़ी मेहनत से घर को सबके साथ उसी से एक झुट होकर रहना चाहती थी लेकिन दूसरी दे वररानी देवर के जाने से परिवार में थोड़ा लड़ाई झगड़ा और बहुत मन मिटाओ बढ़ने लगा। शीतल बहुत सहनशक्ति वाली पढ़ी लिखी और वह परिवार को जोड़ने के लिए सदैव संयम को अत्यधिक देकर भी सबको खुश रखना चाहती थी। शीतल बहुत होशियार थीं।
चारों देवर की शादी हो गई।
घर में और खटपट का वातावरण बन गया।
तीनों देव रानी ने एकजुट बना लिया और शीतल को परेशान करने लगे ।शीतल के साथ बहुत लड़ाई झगड़े होने लगे । बहुत परेशान हो कर शीतल घर छोड़कर के किराए पर जाने के लिए मजबूर हो गयी थी।
अब शीतल मन-ही-मन मन बहुत परेशान होना लगे और दोनों पति-पत्नी गंभीर सोच में पड़ गए आज तक जो कमाया वह सब इन इनके शादी ब्याह में लगाया अब जाएं तो जाएं कहां बिना पैसों का कहां जा सकते हैं।
क्या जी परेशान हो जाने से कारण शीतल और उसके पति ने अपना समान उठाया और दोनों चले गए कुछ समय वह धर्मशाला में रहे।
कुछ दिन बाद थोड़े दिन बाद वह दोनों अपने लिए नौकरी ढूंढने के लिए इधर उधर जाने लगे शीतल के पति  को अच्छी नौकरी मिल गई और कमरा भी किराए पर ले लिया।
दोनों पति-पत्नी कमाना लगे और एक एक पाई बचाकर  कुछ सालों बाद अपना घर ले लिया आखिर शीतल के साथ इतना अन्याय हुआ था सबको पढ़ाया लिखा या सब की शादी कराई घर से बाहर चली जाइए ।
मानव को अपना आपा नहीं खोना चाहिए। भगवान सबके साथ रहता  है ।और वह सत्यवादी मानव का साथ देता है शीतल रमेश का भगवान की कृपा से न उसकी अपनी गृहस्थी जम गई। और वह हंसी खुशी दोनों अपने घर में रहने लगे।

ब्लॉक के लिए अनुमति जी

स्वरचित मौलिक
संगीता चमोली देहरादून उत्तराखंड


नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
विषय प्रेम की गागर 
विषय पद्य
दिनांक-17-9-2021

भीम की गागर जिसके मन में होती।
वह मन ईश्वर समान पवित्र होता।
प्रेम सुधा ही जीवन रक्षक होता।
प्रेम से रखता सुखी जीवन भर।

प्रेम की गागर ममतामई होती।
वह सदा क्षमा दया करती।
जीवन में आनंद सदा लेती।
प्रेम से अपना जीवन सुखी बनाओ।

प्रेम की गागर जिसने भर दिया
अपना जीवन सफल कर दिया।
प्रेम की गागर सदा भरे रहे।
खुशहाली जीवन में मिलती रहे।

प्रेम के गागर भरना सीखो सिखाओ।
मनमंदिर को सफल बनाओ।
इसके भीतर प्रभु बसे हैं।
इस प्रभु को स्वच्छ सुंदर बनाओ।

प्रेम परोपकार करते जाओ।
जीवन में रंगीन सपने सजाओ।
मानवता का धर्म निभाओ।
मनुष्य जन्म का गौरव बन जाओ।

प्रेम अमर जीवन में सदा होता।
प्रेम से एक दूजे को याद करते जाओ।
प्रेम बिना जीवन सूना होता।
प्रेम बढ़ाओ वह सुखी हो जाओ।

ब्लॉक प्रस्तुति हेतु सहमति

स्वरचित मौलिक तथा अप्रकाशित
संगीता चमोली देहरादून उत्तराखंड



नमन मंच
कलम बोलती है साहित्य समूह
दिनांक-23-9-2021
विषय श्राद्ध पक्ष
विद्या स्वैच्छिक

स्वागत सब पितृ पक्ष में करते हैं।
उन प्यार का जिन्होंने जन्म दिया है।
दिये सद संस्कार सत बुद्धि सबको।
पाल पोस कर कर काबिल बनाया।

स्वयं पितृरो में शामिल हो गए।
उन पितृ चरणों को बारंबार नमन।
वही पितृ हमेशा रक्षा हम सब की करते।
दया दृष्टि जीवन भर बनाएं रखते।

शाल में एक बार सब पितृपक्ष में।
श्राद्ध पक्ष में तर्पण देते हैं।
अन्न धन भोजन दान करते हैं।
उनके नाम से भोज वितरित करते हैं।

श्राद्ध पक्ष की पूर्णिमा बात में आता।।
पितृ देवो को घर घर तर्पण मिलता।
हर पुत्र पौत्र और हर परिवार से मिलता।
आशीष पाते जो सत्कार जो करता।।

विधि संयम नियम से पितृ काज।
परिवार में सब मिल-जुल कर श्रद्धा से करते।
जो पितृ देवो परिवार को छोड़कर चले गए।
श्रद्धा से उनको यज्ञ तर्पण देते रहते।

स्नान ध्यान करके पिंडदान करते
अपने पित्रों के नाम गोत्र को स्मरण करते।
विप्र कन्याओं को दान वस्त्र दान देते।
 दक्षिणा देकर चरण स्पर्श आशीष लेते।
श्राद्ध भरते जीवन में संतुष्टि औ पूर्ण विश्वास।
पितृ देवभी रहते स्वा परिवार से आस।

ब्लॉक हेतु सहमति आदरणीय जी

स्वरचित मौलिक तथा अप्रकाशित
संगीता चमोली देहरादून उत्तराखंड

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