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सोमवार, 13 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. सुमन तिवारी जी 🏆🏅🏆

#कलम ✍🏻 बोलती_है_साहित्य_समूह 
#दो_ दिवसीय_ लेखन
#विषय_ क्रमांक : 333
#विषय : गणेश जी की आराधना
#विधा : कविता
#दिनांक  : 11 सितंबर 2021 शनिवार
समीक्षा के लिए
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प्रथम वंदना करूँ,  हे गौरी नंदन गणेश ! 
मंगलमूर्ति,विघ्नहर्ता,काटे सकल कलेष।
हे मंगलकारी, गणनायक, दुःख भंजक
गणपति, गजबदन, मोदकप्रिय  रंजक। 

          तुम  बुद्धि प्रदाता,  रिद्धि सिद्धि  दाता
          हे विघ्न विनाशक, हे सिद्धि विनायक। 
          एकदंत दयावंत, हे गिरिजापति नंदन
          करे मूसे की सवारी, लंबोदर् ,गजानन। 

हाथ में त्रिशूल सोहे,  मूसे की सवारी
 लंबोदर गजबदन,  चार  भुजा धारी। 
रिद्धि सिद्धि निधिया तुम संग विराजे
 देवों के प्रिय, गौरा महेश संग साजे।। 

         विघ्न हरण , दारुण दुःख हर्ता प्रभु
         हम तेरे बालक आए शरण तिहारी। 
         हे संकट मोचक, शोक विनाशकारी  
         भव बाधा हरो, लाज राखो हमारी।। 


                   स्वरचित मौलिक रचना
             सुमन तिवारी, देहरादून उत्तराखंडp

#कलम ✍🏻 बोलती_है_साहित्य_समूह 
#दो_ दिवसीय_ लेखन
#विषय_ क्रमांक : 338
#विषय : श्राद्धपक्ष
#विधा : छंद मुक्त कविता
#दिनांक  : 22सितंबर 2021 बुधवार
समीक्षा के लिए
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भाद्र पद की पूर्णिमा से आरंभ 
अश्विन कृष्ण अमावस को 
होता पितृ विसर्जन
हिंदू धर्म में पूरे सोलह दिन
कहलाते हैं पितृ पक्ष। 
कृतज्ञता ज्ञापित करने का ये पर्व
 श्रद्धा से दिया दान है श्राद्ध
 नमन करते उन पूर्वजों को
वंदन सभी पितृ गण को
जिनसे है अस्तित्व हमारा
उनसे जीवन में उजियारा।
वो मृत्यु लोक से गए परलोक 
भौतिक रूप से नहीं यहाँ
पर उनकी कृपा बरसती है यहाँ
उनकी दया से मिलती दीर्घायु 
मोक्ष प्राप्त करने को करते हैं तर्पण
जौ,तिल,जल और शाक का
श्रद्धा से करते अर्पण।
श्राद्ध से होते पितृ प्रसन्न
उनके ऋण से नहीं हो सकते हम उऋण।

                  स्वरचित मौलिक रचना
             सुमन तिवारी, देहरादून उत्तराखंड

2 टिप्‍पणियां:

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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