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मंगलवार, 7 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. रेखा मोहन जी 🏆🏅🏆

दैनिक_विषय_क्रमांक_331
               
 जय माँ शारदे  
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#विषय..वो लम्हे
जो लम्हें जीवन से निकल जाते
वो वापिस मुद्दत में कब आते है.
कितना चाहों ज़ोर लगाओ पर
वो सब अफसाने से तब पाते है.
जो जरूरत और चाहत होती है
उसकी हमेशा मन में लव लाते है.
हम उसकी तमन्ना में खोये रहते
वो हमको उम्मीद जगा अब आते.
इन लम्हों की चाहत में बन सोदाई
हमने सदा ही मुँह की ही  खाई
दुनिया इनके बिना अधूरी जब नाते है.
स्वरचित –रेखा मोहन पंजाब

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