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रविवार, 12 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. आई जे सिंह

नमन मंच
#कलम बोलती है साहित्य समूह
#विषय: गणेश आराधना
#विधा: पद्य

एकदंत  शोभित  लम्बोदर, गणपति गौरीनंदन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक,चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

हैं अम्बिकेय मोदकप्रिय ये, सबके काज बनाते हैं।
गजकर्णक,सुमुख,कपिल हम, महिमा  तेरी गाते हैं।
पावन पर्व गणेश चतुर्थी, करते  सब अभिनंदन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक,चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

शंकरसुवन गजानन  देवा, नाम  तुम्हारे भाते हैं।
मिट जाते हैं कष्ट सभी जब, दर्श तुम्हारे पाते हैं।
अष्टविनायक बुद्धिपति तुम,तुम्हीं उमासुत नंदन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक,चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

हे वक्रतुंड द्वैमातुर प्रभु, कार्तिकेय के सुन भ्राता।
अर्ज करो स्वीकार हमारी, गजवदनम मोदकदाता।
शीश नवाते चरण तुम्हारे, भाल लगाते  चंदन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक,चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

सिद्धिविनायक शूर्पकर्ण तुम, कर्मों के संचालक हो।
दुःख सृष्टि के हरने वाले, विघ्नराज तुम पालक हो।
दया दृष्टि हो जहाँ तुम्हारी, होते वहाँ न कृन्दन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक, चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

महाकाय हे देव हस्तिमुख, गौरी सुत हे गणनायक।
हे आदिपूज्य प्रभु शुभकर्ता,तुम अंतस में जगनायक।
रहे सदा आशीष तुम्हारा, तुम वसुधा  के कुन्दन हैं।
विध्न विनाशक मंगलदायक, चरण तुम्हारे वंदन हैं।।

(स्वरचित एवं मौलिक)
-©® आई जे सिंह
दिल्ली
11/09/2021

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