नमन मंच
कलम बोलती है
दिनांक -११.०९.२१
विषय - श्री गणेश जी की आराधना
विद्या - स्वैच्छिक
मंगल मूरति, दया निधान।
मूषक पर होकर सवार।
रिद्धि -सिद्धि को साथ लेकर,
लम्बोदर गौरा जी के लाल।
लक्ष्मी जी को साथ लेकर,
हाथ जोड़ मैं पुकार रहा हूं।
दुर्बल काया ,दीन हीन हूं।
तेरे द्वार पर आ न पाया।
हे कष्ट निवारक, बुद्धि के दाता ।
घर के द्वारे खोल दिये हैं सारे।
आओ गणपति मेरे द्वारे।
जो भी कुछ, मेरे पास है बप्पा,
सब तुझ पर न्यौछावर है।
आसन तेरा सजा रखा है।
मोदक प्रिय एक दन्त धारी,
आशा का दीप जला रखा है।
सबके संकट हर लो। कृपासिंधु
छाया है महामारी का घोर अंधेरा।
विघ्न विनाशक, गजानन घारी।
देर करो मत, विनती सुन लो।
प्रथम पूज्य तुम ही हो जग में
आओ - आओ मैं शरण तुम्हारी।
स्वरचित
अनु तोमर
मोदी नगर
गाजियाबाद
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