यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. गोपाल सिन्हा जी 🏆🏅🏆

अन्याय
---------

बहुत दिनों की बात है, कोई आज की नहीं। किसी सुदूर देश में, पास में नहीं, एक राजा राज करता था। उसे अपने एकलौते पुत्र, आसन कुमार के लिए, एक योग्य कन्या की अपेक्षा थी। 

उसने पूरे राज्य में मुनादी पिटवा दी कि उसे राजकुमार से विवाह के लिए अमुक प्रकार की कन्या चाहिए। 

बहुत-सी कन्याओं ने आवेदन किया। सोच-विचार कर, दो कन्याओं को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। एक का नाम था प्रतिभा, दूसरी का सुविधा। 

उनसे उनकी शिक्षा-दीक्षा, कला-कौशल आदि के संबंध में प्रश्न पूछे गए। योग्यता की कसौटी पर प्रतिभा खरी उतर रही थी। 

इसी समय कुछ सभासदों ने राज्य के विधि-विधान एवं परंपराओं का संदर्भ देते हुए, सुविधा के पक्ष में आवाज उठानी शुरू की। 

देखते ही देखते राजनीति गरमाने लगी। राजा थोड़े चिंतित हुए। प्रतिभा एक साधारण परिवार से थी। 

सुविधा अपेक्षाकृत संपन्न परिवार से थी। उसने दावा किया कि उसके परिवार से कई कन्याओं का चुनाव, राज्य के महत्वपूर्ण पदों के अधिकारियों की भार्या के रूप में हो चुका है और वह, आसन कुमार की पत्नी होने का संवैधानिक अधिकार भी रखती है। 

राजा-रानी चुप, अधिकांश सभासद चुप। कुछ खिसक गए, कुछ ने मौके की नजाकत देखते हुए या अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए, उन्हीं लोगों के सुर में सुर मिलाना आरंभ कर दिया। 

एक बूढ़े मंत्री ने सुझाव दिया कि क्यों न अपने हृदय को टटोला जाए। वहाँ से आवाज आयी कि यदि राजनीतिक कारणों से प्रतिभा की उपेक्षा की गई, तो यह उसके प्रति अन्याय होगा।
 
राजा अभी भी असमंजस में है। उधर सुविधा के प्रति गठबंधन मजबूत होता जा रहा है।


--- ( स्व-रचित )

     ( गोपाल सिन्हा,
       समस्तीपुर, बिहार,
       ९-९-२०२१ )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

नमन मंच कलम बोलती है साहित्य समुह  विषय साहित्य सफर  विधा कविता दिनांक 17 अप्रैल 2023 महकती कलम की खुशबू नजर अलग हो, साहित्य के ...