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मंगलवार, 7 सितंबर 2021

रचनाकार :- आ. डॉ. राम कुमार झा जी 🏆🏅🏆

💐🙏#कलम✍बोलती है साहित्य समूह🙏💐

#दिनांकः ०६-०९-२०२१
#दिवस: सोमवार
#विधाः कविता
#विषय:  वो लम्हें 

एक दौड़ था हमारा , कुछ और हम थे,  

था दीवाना ज़माना,  चित्तचोर हम थे, 

शराफ़त ए गुलिस्तां,कशिश दिल्लगी थी,

न जाने मुहब्बत, फिर भी दिलकशी थी, 

लुटाये चमन इश्क, हमने खूशबू बिखेरी ,

आयीं,न जाने कहाँ से वो दिलकश लुटेरी,

थी गज़ब की नज़ाकत, हूश्नी खूबसूरत, 

खुशनुमा जिंदगीऔर की ख़ुदा की इबादत, 

 बन उन्मुक्त पंक्षी उड़े ख़ुले आसमां में , 

हमने लुफ्तें उठायी,प्यार से सजी महफ़िलें थीं, 

नाफ़िक्र चले थे उस रूमानी अनबुझ सी राहें, 

अनज़ान अनाड़ी जवां हम इश्क पे फ़िदा थे,  

पर, हुईं सारी बिताई खुशी दफ़न वक्त के साथ, 

लुटा आशियाना ,बिखरते वे हरदिली अफ़साने, 

जिंदगी के सफ़र में बदलती रिश्तों की लकीरें, 

बस यादें हैं महफ़ूज़ ओ सुनहरी नज़ीरें ईमारत, 

काश,ओ लौट आता मस्ती दिवस ख़ूबसूरत,

कसीदें बनाते ओ गढ़ते  मंजिल ए जवां दिल , 

अफ़सोस,दहलीज़ खड़े हम अनचाहत वयस पे ,  

चिर इश्की इबादत  हो वक्त, तुझको मुबारक । 

कवि✍डा. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित) 
नई दिल्ली

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